बिहार सरकार का बड़ा फैसला! जमीन-जायदाद के गलत रिकॉर्ड होंगे ठीक, देखें जरूरी कागजात की लिस्ट

Bihar Rajsav Maha Abhiyan 2025

नमस्कार दोस्तों 👋 आप सभी का हमारे नए आर्टिकल में तहे दिल से स्वागत है। दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक बेहद ही ज़रूरी और काम की जानकारी देने वाले हैं। जी हां, बिहार सरकार ने एक ऐसा अभियान शुरू किया है, जिससे आम लोगों की जमीन-जायदाद से जुड़ी टेंशन काफी हद तक खत्म हो सकती है। और हां, अगर आप भी बार-बार “कब ठीक होगा मेरी जमीन का रिकॉर्ड?” सोचकर माथा पकड़ लेते हैं, तो यह खबर आपके लिए ही है।

राजस्व महाअभियान – जमीन का बड़ा इलाज

दोस्तों, बिहार सरकार ने जमीन के रिकॉर्ड को दुरुस्त करने के लिए ‘राजस्व महाअभियान’ नाम का मेगा प्रोग्राम शुरू किया है। ये अभियान 16 अगस्त से 20 सितंबर 2025 तक चलेगा। इस दौरान राजस्व और भूमि सुधार विभाग की टीमें आपके घर-घर आएंगी और आपके जमीन के कागज़ों (जमाबंदी) में जो भी गड़बड़झाला है, उसे सही करने में मदद करेंगी। सोचिए जरा, पहले लोग महीनों तक दफ्तर के चक्कर लगाते रहते थे, अब घर बैठे आपकी प्रॉब्लम सॉल्व होगी। लेकिन ध्यान रहे – खाली हाथ रहोगे तो काम नहीं होगा! 😅 आपको कुछ ज़रूरी डॉक्यूमेंट अपने पास रखने होंगे।

‘राजस्व महाअभियान’ में कौन-कौन से कागज़ चाहिए? 📑

  • आवेदन पत्र
  • सहमति पत्र
  • स्व-हस्ताक्षरित शपथ पत्र
  • वंशावली (यानि आपका फैमिली ट्री 🌳, चिंता मत करिए – पेड़ नहीं काटना पड़ेगा 😄)
  • भूमि रसीद
  • खतियान (अगर आपकी भूमि पुरानी है तो)
  • और जो भी कागज़ राजस्व अधिकारी मांगें

अभियान का असली मकसद 🎯

दोस्तों, इस पूरे अभियान का असली मकसद है – जमीन के रिकॉर्ड में गड़बड़ियां ठीक करना। जैसे गलत नाम, खाता और खसरा नंबर, क्षेत्रफल में गलती या फिर बंटवारे और उत्तराधिकार से जुड़ी जानकारी।

राजस्व अधिकारी इस दौरान लोगों के घर जाकर आवेदन पत्र देंगे, दस्तावेज़ लेंगे और आपको बताएंगे कि आपका काम कहां तक पहुंचा। अब देखना ये है कि ये काम कितनी तेज़ी से होता है – क्योंकि सरकारी काम की रफ्तार तो आप जानते ही हैं… 🐌

अब ज़रा सुनिए जनता की परेशानी भी 😓

भले ही ये योजना सुनने में बहुत बढ़िया लग रही हो, लेकिन कई जगह लोगों की मुश्किलें कम होने के बजाय बढ़ गई हैं।

👉 औराई राजखंड दक्षिणी के बनमाली साह का कहना है कि राजस्व कर्मचारी उन्हें बार-बार चक्कर कटवा रहे हैं। जब भी पंजी मांगने जाते हैं तो बस इतना कहते हैं – “आजकल में मिलेगा।” अब भला तीन दिन से लगातार घूम रहे आदमी का क्या हाल होगा, आप खुद सोच लीजिए।

👉 ब्रह्मपुरा के उमेश साह ने शिकायत की कि शिविर कब और कहां लगेगा, इसकी जानकारी ही नहीं है। प्रखंड कार्यालय गए तो वहां कुछ मिला ही नहीं। मतलब आम जनता का हाल वही “ढाक के तीन पात” जैसा हो गया।

दरवाजे पर बंटने लगे जमाबंदी पंजी 🤔

दोस्तों, कुढ़नी के हरिशंकर मनियारी गांव में तो एक नया ही किस्सा सामने आया। वहां एक निजी आदमी के दरवाजे पर कैंप लगाकर जमाबंदी पंजी बांटा जा रहा था! 😲 अब सोचिए, सरकार का काम प्राइवेट आदमी कर रहा है। लोग भड़क गए और खूब बवाल हुआ। वहां हंगामा होने लगा, लेकिन फिर भी कैंप चलता रहा। इतना ही नहीं, इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

हमारी राय 🤝

दोस्तों, सरकार की ये पहल वाकई शानदार है, लेकिन अगर इसे ईमानदारी से लागू नहीं किया गया तो जनता का भरोसा टूट सकता है। अब देखना ये है कि आने वाले दिनों में ‘राजस्व महाअभियान’ लोगों की मुश्किलें आसान करेगा या फिर और बढ़ाएगा।

आख़िरी बात 😊

तो दोस्तों, उम्मीद है कि आपको ये जानकारी मददगार लगी होगी। अगर आपके पास भी इससे जुड़ी कोई जानकारी या अनुभव है, तो हमें ज़रूर बताइए। हो सकता है आपका अनुभव किसी और के लिए रास्ता आसान बना दे।

और हां, अगर आपने अभी तक अपने ज़मीन के कागज़ चेक नहीं किए, तो देर मत करिए – वरना बाद में कहिएगा कि “हमें तो पता ही नहीं चला…” 😅

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