नमस्कार दोस्तों, आप सभी का हमारे नए ब्लॉग में स्वागत है। दोस्तों, आज के इस ब्लॉग में हम आपको रिलायंस इंडस्ट्रीज और जियो की कहानी सुनाने वाले हैं, जो न सिर्फ एक बिज़नेस स्टोरी है बल्कि एक ऐसा सफ़र है जिसने भारत के टेलीकॉम सेक्टर का चेहरा ही बदल दिया। दोस्तों, आप सभी को बताते चलें कि जब मुकेश अंबानी ने जियो को लॉन्च किया था, तब कई लोग इस फैसले पर शक करते नज़र आए। विशेषज्ञों को यह चाल स्मार्ट तो लगी, लेकिन जब 70,000 करोड़ रुपये खर्च कर 5,000 शहरों और 2 लाख से ज्यादा गांवों में 4G नेटवर्क बिछाने की योजना सामने आई, तो सब हैरान रह गए।
उस समय मॉर्गन स्टेनली ने चेताया था कि सिर्फ मार्केट शेयर छीनना काफी नहीं होगा—जियो को टेलीकॉम मार्केट को बढ़ाना भी होगा। 2016 में उसका अनुमान था कि अगले वित्तीय वर्ष तक जियो के 4 करोड़ ग्राहक होंगे और 2019-20 तक यह कंपनी 2 अरब डॉलर की पॉज़िटिव कैश फ्लो के साथ सामने आएगी। वहीं, फिच रेटिंग एजेंसी का मानना था कि जियो मुश्किल से 2-3 करोड़ ग्राहक और 3%-4% रेवेन्यू शेयर ही हासिल कर पाएगी, जो कि कंपनी के पहले साल के 10 करोड़ ग्राहक के लक्ष्य से बहुत कम था।
लेकिन दोस्तों, जैसे ही डेटा क्रांति शुरू हुई, वही विशेषज्ञ जो आलोचना कर रहे थे, जियो के फैन बन गए। और रिलायंस का शेयर भी तेजी से चढ़ने लगा।
दस साल बाद की कहानी
आज, लगभग एक दशक बाद, यह साफ हो चुका है कि अंबानी का टेलीकॉम दांव पूरी तरह से सफल रहा। जियो अब रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) की विकास इंजन बन चुकी है।
2015 से अब तक RIL के शेयर ने 22% सालाना रिटर्न दिया है, जो Nifty 50 के 12% से लगभग दोगुना है।
बर्नस्टीन की रिपोर्ट कहती है:
“टेलीकॉम अब भी रिलायंस के लिए उजाला बना रहेगा, क्योंकि ARPU (प्रति ग्राहक औसत राजस्व) में बढ़त से कमाई में इजाफा होगा। अगले 2 वर्षों में जियो में 13% CAGR की उम्मीद है और FY2027 तक इसके 50 करोड़ ग्राहक और 48% रेवेन्यू शेयर होने की संभावना है।”
FY26 की पहली तिमाही के नतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं:
- जियो ने RIL के कुल EBITDA में 40% योगदान दिया।
- रिटेल जोड़ने पर, कंपनी की आधी से ज्यादा कमाई सिर्फ इन दो कंज़्यूमर बिज़नेस से होती है।
- नया डिजिटल प्लेटफॉर्म JioStar ने ₹11,222 करोड़ की कमाई की और इसके ऐप को 1.04 अरब बार डाउनलोड किया गया।
फिर भी शेयर में 4% की गिरावट देखने को मिली और यह ₹1,415 पर ट्रेड कर रहा है।जी हां दोस्तों, आपने सही पढ़ा।
इस तिमाही में:
- नेट प्रॉफिट 78% बढ़कर ₹26,994 करोड़ हुआ।
- रेवेन्यू 6% बढ़कर ₹2.72 लाख करोड़ हुआ (जिसमें से ₹8,924 करोड़ Asian Paints की हिस्सेदारी बेचकर आए)।
लेकिन अगर इस एक बार की आमदनी को हटा दें तो,
मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक:
- टैक्स के बाद मुनाफा तिमाही-दर-तिमाही 7% घटा, लेकिन साल-दर-साल 19% बढ़कर ₹18,100 करोड़ हुआ—जो स्ट्रीट के अनुमान से 10% कम था।
- इसी वजह से FY26-27 के लिए EBITDA और नेट प्रॉफिट अनुमान 1%-4% घटा दिए गए।
खींचतान कहां है?
- ऑयल-टू-केमिकल बिज़नेस ने उम्मीद से कमजोर प्रदर्शन किया।
- रिटेल की ग्रोथ भी उतनी तेज़ नहीं रही।
लेकिन दोस्तों, लंबी अवधि का नजरिया अब भी बहुत मजबूत है। वेंचुरा के रिसर्च हेड विनीत बोलिंजकर कहते हैं:
“टेलीकॉम रिलायंस के लिए सबसे अलग सेक्टर बनकर उभरा है। ग्राहक तेजी से बढ़ रहे हैं और ARPU में सालाना 15% ग्रोथ दिख रही है। टेलीकॉम और रिटेल ही कंपनी की ग्रोथ चला रहे हैं। IPO के जरिए वैल्यू अनलॉकिंग की उम्मीद है। नया एनर्जी बिजनेस अगली बड़ी ग्रोथ स्टोरी होगा।”
आज विशेषज्ञ रिलायंस को एक लेट-स्टेज स्टार्टअप की तरह देख रहे हैं। अब ध्यान मुनाफे से ज्यादा अरबों डॉलर के सपनों पर है। कंपनी ने लगभग USD 2 ट्रिलियन (₹166 लाख करोड़) का निवेश ग्रीन एनर्जी में करने का प्लान बनाया है—सोलर बैटरी से लेकर फ्यूल सेल्स तक।
चुनौतियां अभी भी हैं
- कम ROCE (Return on Capital Employed)
- लगातार बढ़ता Capex (Capital Expenditure)
- 4.7x प्राइस-टू-बुक रेश्यो के बावजूद सिर्फ 7% ROE
लेकिन दोस्तों, भरोसा रखने वाले निवेशकों को इसमें भविष्य दिखाई दे रहा है।
बोलिंजकर के अनुसार:
“इतिहास में रिलायंस का शेयर 11x EV/EBITDA पर मिलता था, अब वह 9x पर है। बिना कुछ बदले भी यह स्टॉक अगले 18 महीनों में 15%-18% तक ऊपर जा सकता है। अगर इंडेक्स 12% बढ़ता है, तो यह स्टॉक 15% तक जा सकता है यानी 3% एक्स्ट्रा रिटर्न।”
एक नई क्रांति: हर बार एक नया बदलाव
दोस्तों, आप सभी जानते हैं कि रिलायंस ने हमेशा स्केल और टेक्नोलॉजी की मदद से मार्केट में अपनी अलग पहचान बनाई है। 1970 के दशक में, जब पॉलीस्टर को लग्ज़री माना जाता था, तब धीरुभाई अंबानी ने इसे आम जनता तक पहुंचाकर फैब्रिक इंडस्ट्री में क्रांति ला दी। यही रणनीति जियो और रिलायंस रिटेल में भी देखने को मिली। जियो ने पूरे भारत में सस्ते इंटरनेट और तेज़ 4G नेटवर्क के जरिए डिजिटल क्रांति ला दी, जबकि रिलायंस रिटेल ने हर घर तक अपना दायरा फैला लिया।
दुनिया के दिग्गज और उनका सफ़र
दोस्तों, आप सभी को बताते चलें कि Apple और Microsoft ने भी समय के साथ खुद को बदला है, लेकिन ये दोनों कंपनियां अपने मूल बिज़नेस के करीब ही रहीं।
इसके उलट, रिलायंस ने धीरुभाई अंबानी के विज़न पर चलते हुए पूरी तरह नई उम्र के बिज़नेस में कदम रखा है। यही सफ़र सैमसंग का भी रहा है — कपड़े और चीनी से शुरू होकर आज यह मोबाइल और चिप मैन्युफैक्चरिंग का दिग्गज बन चुका है।
Apple भी अब EVs और स्ट्रीमिंग जैसी नई इंडस्ट्रीज़ में उतर रहा है। लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान खींच रहा है Xiaomi।
- शुरुआत स्मार्टफोन से की
- अब EV मार्केट में अपने Yu7 और Su7 मॉडल लॉन्च कर दिए
- जनवरी 2024 में इसका मार्केट कैप USD 1.5 ट्रिलियन तक पहुंच गया
- The Economist के अनुसार, Xiaomi ने सिर्फ 15 महीनों में चीन की सड़कों पर 3 लाख EVs उतार दिए, जबकि Apple और Samsung अब भी पीछे हैं।
रिलायंस की नई जंग: ग्रीन एनर्जी
अब दोस्तों, रिलायंस की अगली बड़ी क्रांति है ग्रीन एनर्जी। AI और डेटा सेंटर की वजह से ऊर्जा की डिमांड तेजी से बढ़ रही है, और यही आने वाले समय में सबसे बड़ा अवसर साबित हो सकता है।
- जियो को 12x EV/EBITDA वैल्यू दी गई है
- रिटेल को 32x वैल्यू पर रेट किया गया है
- रिफाइनरी बिज़नेस को 7x पर रखा गया है
इन सबको मिलाकर टारगेट प्राइस ₹1,640 दिया गया है।
सबसे बड़ा रिस्क बना सबसे बड़ी ताकत
दोस्तों, यह कहानी तभी पूरी होती है जब हम जियो का ज़िक्र करें। 2015 में, जब भारती एयरटेल मार्केट लीडर था,
तब मुकेश अंबानी ने कहा था:
“अगर जियो वित्तीय रूप से असफल भी होता है, तब भी यह भारत को डिजिटल बनाने में क्रांति ला देगा।”
उन्होंने पूरी तरह LTE टेक्नोलॉजी पर दांव लगाया। और नतीजा आपके सामने है। 2025 के महाकुंभ में जब 660 मिलियन लोग 45 किमी के दायरे में 45 दिन तक इकट्ठा हुए, यह किसी भी नेटवर्क के लिए सपने में भी डरावना था। लेकिन जियो ने 83.9% 5G उपलब्धता के साथ यह चुनौती भी जीत ली।
आने वाले 10 साल: चुनौती और मौका
दोस्तों, सच्चाई यह है कि अगला दशक आसान नहीं होगा। AI, EVs, टेलीकॉम और रिटेल में नई चुनौतियां आएंगी। पिछले 10 साल जैसा प्रदर्शन दोहराना मुश्किल होगा। लेकिन जहां ज्यादातर दिग्गज कंपनियां आरामदायक क्षेत्रों में अटकी हैं, रिलायंस लगातार अपने नियम खुद बना रही है और यही इसकी सबसे बड़ी क्रांति साबित हो सकती है।
🔚 निष्कर्ष (Conclusion)
इस लेख में हमने विस्तार से जाना कि मुकेश अंबानी ने कैसे जियो की शुरुआत की, और कैसे यह कंपनी कुछ ही वर्षों में भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन गई। हमने निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की:
- जियो के 70,000 करोड़ के मेगा इन्वेस्टमेंट की कहानी
- कैसे शुरुआती आलोचनाओं के बावजूद जियो ने भारत को डिजिटल बना दिया
- रिलायंस इंडस्ट्रीज में जियो और रिटेल का योगदान
- ग्रीन एनर्जी में रिलायंस का अगला बड़ा कदम
- महाकुंभ 2025 में जियो की 5G नेटवर्क की शानदार परफॉर्मेंस
- रिलायंस का स्केल, विजन और भविष्य की योजनाएं
- क्यों विशेषज्ञ अब रिलायंस को “लेट-स्टेज स्टार्टअप” मानते हैं
- और कैसे Dhirubhai Ambani का सपना आज भी कंपनी की दिशा तय कर रहा है
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