नमस्कार दोस्तों,
आप सभी का हमारे नए आर्टिकल में स्वागत है। दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक बेहद महत्वपूर्ण और ताज़ा खबर बताने जा रहे हैं, जो सीधे-सीधे बिहार की मतदाता सूची से जुड़ी हुई है। अगर आप बिहार के वोटर हैं या आने वाले समय में वोट डालने वाले हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बहुत अहम है।
दोस्तों, जैसा कि आप जानते हैं कि इस समय बिहार में Special Intensive Revision यानी विशेष गहन पुनरीक्षण का काम चल रहा है, जिसमें चुनाव आयोग (ECI) मतदाता सूची को अपडेट कर रहा है। इसी प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनकी सुनवाई मंगलवार को हुई।
सुप्रीम कोर्ट के दो जज — न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि “कुल मिलाकर यह मामला भरोसे की कमी का प्रतीत होता है।” यानी कोर्ट का मानना है कि याचिकाओं में जो तर्क दिए गए हैं, वो इस बात पर ज़्यादा केंद्रित हैं कि लोगों और चुनाव आयोग के बीच भरोसे की कमी है।
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आप सभी को बताते चलें कि याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया था कि बिहार के अधिकांश मतदाताओं के पास वे दस्तावेज नहीं हैं, जो चुनाव आयोग मांग रहा है। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि “अगर बिहार के लोगों के पास दस्तावेज नहीं हैं तो दूसरे राज्यों के लोगों के पास भी नहीं होंगे।”
दोस्तों, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक और अहम बात कही। उन्होंने पूछा कि क्या याचिकाकर्ताओं का यह तर्क है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण है? इस पर कोर्ट ने साफ कहा कि Aadhaar Act के मुताबिक आधार नागरिकता का पक्का सबूत नहीं है।
कोर्ट ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से भी सवाल किया कि क्या केवल बिहार में रहने के आधार पर, बिना किसी दस्तावेज़ के, किसी व्यक्ति को नागरिक माना जा सकता है? इसके जवाब में सिब्बल ने कहा कि असली चिंता इस प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक छोटे से इलाके में 12 ऐसे वोटर हैं जिन्हें जीवित दिखाया गया है, जबकि वे मर चुके हैं। वहीं, कुछ मृत लोगों को जीवित दिखाया गया है।
दोस्तों, इस मामले में चुनावी विश्लेषक योगेंद्र यादव भी कोर्ट में मौजूद थे। उन्होंने दावा किया कि यह SIR प्रक्रिया अपने डिज़ाइन के कारण बड़े पैमाने पर मतदाताओं को सूची से बाहर कर रही है। उन्होंने इसे “भयावह” और “मताधिकार छीनने का सबसे बड़ा अभियान” बताया। उन्होंने कोर्ट में एक पुरुष और एक महिला को भी पेश किया, जिन्हें ड्राफ्ट लिस्ट में मृत दिखाया गया है, जबकि वे जिंदा हैं।
यदि आपके अंदर भी इस मामले से जुड़ी हुई कोई जानकारी है, या आपके इलाके में मतदाता सूची में कोई गड़बड़ी हुई है, तो आपको तुरंत इसकी सूचना स्थानीय चुनाव कार्यालय को देनी चाहिए।
दोस्तों, अब देखना यह होगा कि बुधवार को होने वाली अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है। हम इस मुद्दे पर नज़र बनाए रखेंगे और आपको हर अपडेट समय-समय पर देते रहेंगे।