सत्यपाल मलिक: जो राज्यपाल पद पर रहते हुए भी मोदी सरकार से भिड़ गए | जानिए पूरी कहानी

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नमस्कार दोस्तों, आप सभी का हमारे नए ब्लॉग में स्वागत है। दोस्तों, आज के इस ब्लॉग में हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका नाम सुनते ही राजनीति में ईमानदारी, किसानों की आवाज़ और साफ-साफ बोलने का चेहरा सामने आ जाता है। जी हां दोस्तों, हम बात कर रहे हैं सत्यपाल मलिक जी की, जो जम्मू-कश्मीर के आख़िरी राज्यपाल रहे और मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को दिल्ली में उनका निधन हो गया। और दोस्तों, सबसे खास बात ये रही कि जिस दिन उनका निधन हुआ, वही दिन अनुच्छेद 370 हटाए जाने की छठी बरसी भी था ।

एक लंबे समय से चल रही बीमारी ने तोड़ा दम

दोस्तों, आपको बताते चलें कि 79 वर्षीय सत्यपाल मलिक जी काफी समय से किडनी की बीमारी से परेशान थे। उन्हें मई 2025 में राम मनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्ली में भर्ती कराया गया था। ठीक उसी दिन जब CBI ने 2,200 करोड़ के किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट केस में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। लेकिन दोस्तों, उन्होंने इन सभी आरोपों को झूठा और राजनीति से प्रेरित बताया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर यहां तक कह दिया था कि उन्हें इसलिए टारगेट किया जा रहा है क्योंकि वो किसानों और महिला पहलवानों के समर्थन में खड़े हुए थे।

मेरी ईमानदारी की सज़ा दी जा रही है

दोस्तों, मलिक जी शुरू से ही बेबाक बोलने वालों में से थे। मीडिया इंटरव्यूज़ में उन्होंने खुलकर कहा था कि उन्होंने खुद सरकार को दो बार रिश्वत की पेशकश की जानकारी दी थी जब वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे। उस वक्त उनकी ईमानदारी की तारीफ भी हुई थी। लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद जब जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया, तब उन्हें वहां से गोवा और फिर मेघालय ट्रांसफर कर दिया गया।

मोदी सरकार पर खुलकर वार

दोस्तों, बहुत कम ऐसे लोग होते हैं जो किसी संवैधानिक पद पर रहते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ बोलने की हिम्मत करते हैं। लेकिन मलिक जी ने कभी अपनी बात कहने से पीछे नहीं हटे। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि 2019 में हुए पुलवामा हमले के लिए केंद्र सरकार की लापरवाही जिम्मेदार थी और जब उन्होंने ये बात प्रधानमंत्री मोदी से कही तो मोदी जी ने उन्हें चुप करा दिया। उन्होंने यह भी कहा कि उस दिन जवानों के काफिले के लिए एयरक्राफ्ट नहीं दिया गया, जिससे उन्हें सड़क मार्ग से जाना पड़ा। हाल ही में उन्होंने पहलगाम हमले को लेकर भी मोदी सरकार पर सवाल उठाए थे। हालांकि अनुच्छेद 370 पर वो हमेशा तटस्थ रहे और कहा कि उन्होंने वही किया जो केंद्र सरकार ने कहा।

एक किसान परिवार से निकलकर राजनीति की ऊंचाइयों तक

दोस्तों, अगर हम उनकी शुरुआती जिंदगी की बात करें तो सत्यपाल मलिक जी का जन्म 1946 में बागपत (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) में एक किसान परिवार में हुआ था। बहुत छोटी उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और इतिहास और शायरी में भी गहरी रुचि रखते थे। उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ मेरठ यूनिवर्सिटी से छात्र राजनीति में भाग लेकर। किसान मुद्दों पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि खुद चौधरी चरण सिंह ने उन्हें राजनीति में आगे बढ़ाया।

पार्टी बदली लेकिन विचार नहीं

दोस्तों, राजनीति में मलिक जी का सफर बड़ा दिलचस्प रहा।

  • 1974 में पहली बार बागपत से विधायक बने
  • 1980 में कांग्रेस में शामिल हुए और राज्यसभा पहुंचे
  • फिर 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा जीती और वीपी सिंह सरकार में मंत्री बने

लेकिन उसके बाद कई साल तक चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। 2004 में BJP जॉइन की, और अपने राजनीतिक गुरु अजीत सिंह के खिलाफ बागपत से चुनाव लड़ा।

BJP का भरोसेमंद चेहरा और जाट समाज की मजबूत आवाज़

दोस्तों, हार के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। BJP ने उन्हें 2012 में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। मुज़फ्फरनगर दंगों के बाद, वे जाट समाज के एक प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे और अमित शाह के साथ मिलकर पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत किया। 2017 में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया, फिर 2018 में जम्मू-कश्मीर, उसके बाद गोवा और मेघालय के राज्यपाल बने।

सिद्धांतों की लड़ाई या पद की दौड़?

दोस्तों, जब उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए नजरअंदाज कर दिया गया और जगदीप धनखड़ को आगे बढ़ाया गया, तो कुछ लोगों ने उन्हें अवसरवादी कहा। लेकिन मलिक जी हमेशा कहते रहे कि उनका मकसद सिर्फ किसानों और लोकतंत्र की रक्षा था। उनके और अमित शाह के बीच रिश्ते हमेशा सामान्य रहे, लेकिन मोदी सरकार पर वो हमेशा खुलकर बोलते रहे।

अंतिम विदाई और परिवार

दोस्तों, प्रधानमंत्री मोदी ने भी उनके निधन पर श्रद्धांजलि दी। सत्यपाल मलिक जी अपने पीछे छोड़ गए हैं —

  • अपनी पत्नी इकबाल मलिक (एक प्रसिद्ध शिक्षिका और पर्यावरणविद)
  • बेटे देव कबीर (एक नामी ग्राफिक डिज़ाइनर)

🔚 अंत में दोस्तों…

सत्यपाल मलिक जी जैसा नेता बहुत कम देखने को मिलता है। जो सिस्टम के अंदर रहकर सिस्टम से सवाल करने की हिम्मत रखता है, वह सच्चा जन प्रतिनिधि होता है। उनकी साफगोई, किसानों के लिए संघर्ष, और राजनीतिक मजबूरियों से ऊपर उठकर अपनी बात कहने की हिम्मत हमेशा याद रखी जाएगी।

ॐ शांति 🙏 आपकी क्या राय है मलिक जी के बारे में? कमेंट में जरूर बताइए।

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